VoW REC बुकअवार्ड्स 2024 – साहित्य की आठ विधाओं में सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का उत्सव
देहरादून, 9 सितंबर 2024 – वैली ऑफ वर्ड्स (VoW) को यह घोषणा करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि VoW-REC बुक अवार्ड्स 2024 के विजेताओं का चयन कर लिया गया है।
यह पुरस्कार साहित्य की कहानियाँ कहने की शक्ति और समाज पर इसके गहरे प्रभाव को मान्यता देते हैं। VoW को प्राप्त हुई विविध प्रविष्टियों में से, पाठकों के दिलों में गहराई से उतरने वाली, पहचान, दृढ़ता और मानवीय आत्मा के विषयों को संबोधित करने वाली कथाओं को गढ़ने वाले अद्भुत प्रतिभाशाली रचनाकारों को विजेता चुना गया है।
इस वर्ष की प्रमुख कृतियों में से एक है शबनम मिनवाला रचित ज़ेन, जो युवा वयस्कों के लिए लिखा गया उपन्यास है। यह ज़ैनबनामक दो लड़कियों के जीवन को जोड़ता है, जो विभिन्न युगों से हैं और राजनीतिक प्रतिरोध और व्यक्तिगत विकास के विषयों को उजागर करती हैं। इस विधा की जूरी मंदिरा शाह कहती हैं, “यह उपन्यास समकालीन सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों से जुड़ा है और अपने विश्वासों के लिए खड़े होने का सशक्त संदेश देता है।”
बच्चों के लिए साहित्य (लिटरेचर फॉर चिल्ड्रन) श्रेणी में विभाबत्रा रचित दछऊ चैंप एक प्रेरक कहानी है, जिसमें शुभा नामक एक लड़की लिंग आधारित पूर्वाग्रहों को तोड़ते हुए पुरुषों के वर्चस्व वाले छौं नृत्य के प्रति अपने जुनून को तमाम बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ाती है। जूरी सदस्य आचिंत्य रूपरे कहते हैं, “यह जीवंत कथा धैर्य और आत्म-विश्वास के महत्व को उजागर करती है, जो इसे युवा पाठकों के लिए एक आनंददायक पठन सामग्री बनाती है।”
मनोज मित्ता की कास्ट प्राइड: बैटल्स फॉर इक्वेलिटी इन हिंदू इंडिया को इंग्लिश नॉन-फिक्शन श्रेणी में जूरी डॉ. इश्तियाक अहमद द्वारा विजेता चुना गया है। उनके अनुसार, “इस पुस्तक की विस्तृत शोध और सशक्त कथा सामाजिक न्याय के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करती है, जो समकालीन भारत को समझने के लिए अनिवार्य पठनीय पुस्तक बनाती है।”
स्मृतिरविंद्र की पुस्तक द वुमन हू क्लाइमब्ड द ट्री अंग्रेजी फिक्शन श्रेणी में विजेता है। यह उपन्यास सांस्कृतिक और व्यक्तिगत बदलावों की यात्रा की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है, जिसमें गहरे प्रतीक और गीतात्मक गद्य शामिल हैं। इस श्रेणी के विजेता का चयन उपकुलपति सुरेखा डंगवाल द्वारा किया गया।
अंग्रेजी अनुवाद श्रेणी में अंजुम कटियाल द्वारा महाश्वेता देवी की मूल कृति से अनूदित ट्रूथ/अनट्रुथ (बांग्ला) पुस्तक इस वर्ष की विजेता है। जूरी सदस्य ललित कुमार के अनुसार, “इस अनुवाद ने मूल कृति की भावनाओं को जीवित रखा है, जो सत्य, नैतिकता और सामाजिक पाखंड जैसे विषयों को उजागर करती है।”
हिंदी अनुवाद की जूरी अमृता बेरे के चयन में बलजिंदर नसराली की मूल कृति अम्बर परियाँ (पंजाबी) का सुभाष नीरव द्वारा अनुवाद इस वर्ष विजेता है। यह सामाजिक और पारिवारिक तनावों के बीच एक प्रेम कहानी को दर्शाता है। अनुवाद ने इस कहानी की भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक बारीकियों को बरकरार रखा है, जो पाठकों को एक आकर्षक अनुभव प्रदान करता है।
उदयप्रकाश की अंतिम नींबू हिंदी फिक्शन में नीलेश रघुवंशी द्वारा चुनी गई है। यह अनोखी कथा अभावों और अंत आदि विषयों पर गहराई से चिंतन करती है और नई कथा कहकर समाज के जरूरी मुद्दों पर प्रकाश डालती है।
अंत में, डॉ. सुरेश पंत द्वारा लिखी गई शब्दों के साथ-साथ हिंदी नॉन-फिक्शन श्रेणी की विजेता पुस्तक है। जूरी सदस्य लक्ष्मी शंकर बाजपेई कहते हैं, “इस पुस्तक की विस्तृत भाषाविज्ञान की चुनौतियों की विवेचना और हिंदी की समृद्धि का उत्सव इसे भाषा प्रेमियों और विद्वानों के लिए एक अमूल्य संसाधन बनाता है।”
वैली ऑफ वर्ड्स और REC ने इन असाधारण कृतियों को उनके प्रेरणादायक, शैक्षिक और परिवर्तनकारी क्षमताओं के लिए सम्मानित किया है। फेस्टिवल डायरेक्टर संजीव चोपड़ा ने REC के सीएमडी विवेक देवांगन को उनके समर्थन और प्रोत्साहन के लिए आभार व्यक्त किया और जूरी सदस्यों की भी सराहना की, जिन्होंने लॉन्गलिस्ट में शामिल सभी पुस्तकों को बारीकी से पढ़कर अंतिम चयन किया।
इस अवसर पर वैली ऑफ वर्ड्स की अध्यक्ष रश्मि चोपड़ा, संस्थापक डॉ. संजीव चोपड़ा, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की सदस्य सुश्री ज्योति धवन (संयोजक इटिनाट्य और बालसाहित्य), डॉ. राजेंद्र डोभाल (विज्ञान और प्रौद्योगिकी संयोजक), डॉ. सुशील उपाध्याय, सतीश शर्मा, अरुण प्रताप सिंह, नितिन गैरोला, करण दयाल, बिक्रम सिंह (चीफ अकाउंटेंट), सचिन चौहान (क्यूरेटर हिंदी वर्टिकल), शालिनी बुटोला (ईए, संजीव चोपड़ा) और अन्य वॉलंटियर्स उपस्थित रहे। डॉ. तानिया सैली बख्शी (प्रोग्राम डायरेक्टर) भी इस अवसर पर उपस्थित रहीं। इसके अतिरिक्त कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस महत्वपूर्ण मौके पर अपनी उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई।
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