यात्रा कथाएँ हमेशा से रोमांचकारी रही हैं और यदि उसमें खोजी कथाएं भी शामिल हो जाए तो आनंद कई गुना बढ़ जाता है। नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा वरिष्ठ विज्ञान लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी जी की पुस्तक ‘पीछे छूटा पहाड़’ प्रकाशित की गई थी जो काफी लोकप्रिय हुई थी।
हाल ही में नेशनल बुक ट्रस्ट ने श्री जे.पी. पांडे की पुस्तक ‘पगडंडी में पहाड़’ प्रकाशित की है जो लोकप्रियता के अनेक तत्वों को समेटे हुए है।
पूरी पुस्तक 18 खण्डों में विभाजित है और प्रत्येक खंड शिवालिक पर्वत श्रंखला के किसी न किसी लोकप्रिय स्थान की पूरी जानकारी समेटे हुए है।
पहले खंड में पहाड़ों की रानी मसूरी की कहानी
पहले खंड में लेखक ‘पहाड़ों की रानी’ मसूरी पहुंचता है और यही इस खंड का शीर्षक भी है।
प्रथम पैराग्राफ़ से ही मसूरी के अनुपम सौंदर्य का वर्णन प्रारंभ हो जाता है और पाठको को वहाँ के प्रमुख स्थलों की जानकारी मिलने लगती है। बीच रास्ते में प्राचीन शिव मंदिर का दर्शन, मसूरी से सात किलोमीटर पहले मसूरी झील में वोटिंग का आनंद लेते हुए लेखक मसूरी के प्रसिद्ध लाइब्रेरी चौक पहुँचता है और यहीं से वह कलमबद्ध करना शुरू करता है एक छोटे से गांव के मसूरी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की गौरव गाथा।
पहली सड़क कौन सी बनी, पहला होटल कौन सा बना, किस होटल में कौन-कौन विभूतियां कब-कब रुकीं? सूक्ष्म से सूक्ष्मतम जानकारी इतने करीने से संजोई गई है कि देखकर आश्चर्य होता है।
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